पुराने जमाने की पहेलियों का साहित्य भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ये पहेलियाँ न केवल हमारे पूर्वजों की बुद्धिमत्ता और कल्पनाशीलता का प्रतीक हैं, बल्कि एक समय था जब इन्हें मनोरंजन और शिक्षा का प्रमुख साधन माना जाता था। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी इन पहेलियों के माध्यम से अपनी सोचने-समझने की क्षमता को परखते और मनोरंजन प्राप्त करते थे।
इन पहेलियों में सरलता, गहराई और व्यावहारिक ज्ञान का अद्भुत मेल होता है। हर पहेली के पीछे एक कहानी या जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू छुपा होता है, जिसे सुलझाने पर व्यक्ति को न केवल समाधान का आनंद मिलता है, बल्कि उसे एक नई दृष्टिकोण भी प्राप्त होता है। इन पहेलियों का प्रयोग पारिवारिक समारोहों, उत्सवों, और मेलों में किया जाता था, जहाँ लोग मिल-बैठकर अपना ज्ञान और बुद्धि एक-दूसरे के साथ साझा करते थे।
इस संग्रह में, आपको 50 से अधिक ऐसी पुरानी पहेलियाँ मिलेंगी, जो आपको न केवल सोचने पर मजबूर करेंगी, बल्कि आपको उस समय की सरलता और गहराई का भी अनुभव कराएंगी। चाहे आप इन्हें अपने दोस्तों और परिवार के साथ साझा करें या अकेले ही सुलझाएं, ये पहेलियाँ आपके लिए एक अद्वितीय और आनंददायक अनुभव साबित होंगी।
पुराने जमाने की पहेलियां
यहाँ पर 50 से अधिक पुरानी जमाने की पहेलियों का संग्रह है, जो आपकी सोचने की क्षमता को परखेंगी और आपको मनोरंजन देंगी।
- एक अनार सौ बीमार।
उत्तर: अनार - काला काला घर,
उसमें सफेद परी।
जब दरवाजा खोलूं,
तो सब हो जाए हरी।
उत्तर: काली स्लेट और सफेद चॉक - ऊंची दुकान, फीका पकवान।
उत्तर: बिजली का बल्ब - चारों ओर खेत, बीच में डेरा।
बैठे पंडित और मारे ढेरा।
उत्तर: घड़ी - लाल रंग की मछली,
जल बिना तड़पे।
आए हाथ में,
मुँह से निकल जाए।
उत्तर: जीभ - दो भाई सर्दी में काँपे,
गर्मी में झूले।
बारिश में गीले हों,
फिर भी न सूखें।
उत्तर: कान - राजा के महल में राजा रानी सोए,
न राजा उठे न रानी जागे।
उत्तर: आंखें - एक पहेली अजब विचित्र,
जिसका सुलझाना है कठिन।
ना हो जिन्दा फिर भी वो चले,
ना हो मुर्दा फिर भी न रुके।
उत्तर: घड़ी - ऊपर आया तो समझो रात,
नीचे आया तो समझो दिन।
उत्तर: सूरज - आग लगे उस बस्ती में,
जहां दिन में रहती है रात।
दीवारें हैं उसकी कांच की,
नहीं किसी की जात।
उत्तर: लैम्प - सोने की चिड़िया,
लोहे का घोंसला।
बैठे तो सौ मन,
उड़े तो पत्ता भर।
उत्तर: जहाज - ऊँचा पहाड़, नीचा पहाड़।
दौड़े राजा की बेटी,
नंगे पाँव।
उत्तर: सिलाई मशीन - चले तो पानी भरे,
बैठे तो सुस्ता जाए।
उसे देख हर कोई कहे,
अरे भाई ये क्या हुआ?
उत्तर: पानी का घड़ा - उड़ने में बड़ा मजा,
पानी में बहुत जी करे।
आकाश में तारे गिने,
पर जमीन पर ही रहे।
उत्तर: पतंग - काली काली अंधेरी रात,
उसमें निकले काले बाल।
जले तो पूरा उजाला करे,
न जले तो सब हो जाए काले।
उत्तर: कोयला - लम्बी पूंछ, छोटी देह,
बिन पैर के चलता जाए।
देखो उसका काम,
नटखट शैतान।
उत्तर: बंदूक - नाक से निकले,
मुँह से चले।
जहाँ भी जाए,
सबको खुश करे।
उत्तर: गाना - काले घोड़ों का हरा सवार,
उसके बिना सुने सब भार।
उत्तर: पंखा - आगे राजा पीछे रनिवास,
बीच में छोरा नाचत आवे।
उत्तर: साँप - छोटा सा लड़का,
लम्बी लम्बी दाढ़ी।
दिन में चार बार,
करूं मैं उसकी सवारी।
उत्तर: टूथब्रश - एक पत्थर की चिड़िया,
दो पत्थर की पंख।
उड़ने में न कोई देरी,
पर उड़ती नहीं कभी भी।
उत्तर: पत्थर का बना पक्षी - चाँदनी रात,
धरती का तारा।
नीचे का मुंह,
ऊपर की छाया।
उत्तर: दीपक - आग लगे उस जंगल में,
जिसमें हाथी रहे न हिरण।
दोनों मिलकर जो चलें,
तो कुछ भी बचे न जले।
उत्तर: बिजली और पानी - एक राजा ने,
एक तोता मारा।
उसके बीवी बोली,
न छेड़ो मुझको प्यारा।
उत्तर: मटर - पेड़ पर बैठा,
करता है बात।
बोलता नहीं,
पर करता है हवालात।
उत्तर: घड़ी का पेंडुलम - दो भाई ज्यूँ ज्यूँ लम्बे जाएं,
त्यूँ त्यूँ एक-दूजे को खाएं।
उत्तर: कैंची - एक नारियल का पेड़,
जिसके नीचे बैठा,
न वह आदमी रहे,
न उसके कपड़े।
उत्तर: बॉम्ब - काला-पीला एक जामुन,
आधा कच्चा, आधा पका।
पकड़ो तो छूट जाए,
छोड़ो तो पकड़ जाए।
उत्तर: छाया - ऊपर से देखा तो आसमान,
नीचे से देखा तो धरती।
उसके बगैर,
नहीं बनती कोई बात।
उत्तर: आईना - छोटा हूँ पर,
काम बहुत करूं।
जलाए बिना,
मेरा काम नहीं।
उत्तर: माचिस - नाच ना जाने आँगन टेढ़ा।
उत्तर: बहाना - बैल की पूंछ, बकरी के सींग।
काटे-चबाए, पर खून न होए।
उत्तर: मिर्च - न कोई जीता,
न कोई हारा।
पर रोज़ लड़ाई हो,
मेरा नाता प्यारा।
उत्तर: जुबान और दांत - ना वह चिड़िया,
ना वह जानवर।
पर सुबह-शाम,
गाना गाता।
उत्तर: गाना - बिना पैर के चलता जाए,
जहां भी जाए,
सबको लुभाए।
उत्तर: पानी - लाल लंगोटा,
पहने जो बैठा।
नंगे पाँव दौड़े,
बिना मुँह बोले।
उत्तर: लौंग - तेरा नाम उल्टा कर दूं,
तू मेरा नाम बता।
उत्तर: गधा और धागा - तीन अक्षर का मेरा नाम,
उल्टा-सीधा एक समान।
दालान मेरा पहला अक्षर,
सागर मेरा दूसरा नाम।
उत्तर: नन - तीन अक्षर का मेरा नाम,
पहले में मैं गंदा हूँ।
दूसरे में मैं करता हूँ,
तीसरे में मैं हटाता हूँ।
उत्तर: मल-माल-हटा - दो अक्षर का मेरा नाम,
उल्टा सीधा एक समान।
उत्तर: नन - ऊपर से आई,
पीली हो गई।
पेड़ पर चढ़ी,
हरी हो गई।
उत्तर: केला - सुल्तान का बेटा,
पेड़ पर सोता।
हवा चले,
तो रोता।
उत्तर: फल - दो अक्षर का मेरा नाम,
बोलो मुझसे कौन है।
नारंगी का रस मुझमें,
पर मैं नारंगी नहीं हूँ।
उत्तर: रस - चार भाई,
एक ही रंग।
जो गिरा दे,
उसका ही रंग।
उत्तर: पासा - एक ठुमका गाए,
दूसरा साथ बजाए।
एक की लम्बी गर्दन,
दूसरा साथ नाचाए।
उत्तर: सारंगी और ढोलक - एक थाल मोतियों से भरा,
सबके सिर पर औंधा धरा।
चारों ओर वो घूमे,
पर कभी न कुछ बोले।
उत्तर: आसमान और तारे - बिना पैर का चलता जाए,
जहां जाए, सबको लुभाए।
उत्तर: पानी - सोने का थाल,
चांदी का पान।
फिर भी न राजा खाए,
न रानी खाए।
उत्तर: सूरज और चांद - ऊपर से आई,
नीचे गई।
आकाश में तारे गिन,
और फिर सो गई।
उत्तर: बारिश - न कोई जीता,
न कोई हारा।
फिर भी हो,
रोज लड़ाई।
उत्तर: जुबान और दांत - एक अनार,
सौ बीमार।
उत्तर: अनार
ये पहेलियाँ न केवल पुरानी परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं, बल्कि वे आपकी सोचने और तर्क करने की क्षमता को